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500 मुकाबले बिना हारे दुनियां को अपनी ताकत का लोहा मनवाने वाले विश्वविजेता मशहूर पहलवान '#रूस्तम_ऐ_हिंद #दारासिंह_रंधावा जी' के बारे मे

अखिल भारतीय जाट महासभा के पूर्व अध्यक्ष, अपने 500 मुकाबले बिना हारे दुनियां को अपनी ताकत का लोहा मनवाने वाले विश्वविजेता मशहूर पहलवान '#रूस्तम_ऐ_हिंद #


🇮🇳 ️रुस्तम-ए-हिंद दारा:आज विश्व प्रसिद्ध पहलवान और बॉलीवुड अभिनेता दारा सिंह जी की पुण्यतिथि है
✍️पंजाब के धर्मुचक गांव में जन्मे दारा सिहं का पूरा नाम दारा सिंह रंधावा था. दारा सिंह का शरीर शुरू से ही मजबूत कद काठी का था. 53 इंच सीने वाले दारा सिंह ने बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाई.
आज ही के दिन  12 जुलाई २०१२ को दारा सिंह दुनिया को अलविदा कहे 6 साल हो गए हैं. पहलवानी हो, फिल्में हो या फिर राजनीति हो जिस भी काम को दारा सिंह ने किया, पूरी शिद्दत से किया.
✍️गठे हुए शरीर का 6 फुट 2 इंच लंबा अभिनेता दिखाई देता है. दारा सिंह का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. दारा सिंह को नाम, शोहरत एक अभिनेता के तौर पर नहीं मिली थी. लेकिन उन्होंने पहलवानी, एक्टिंग जो भी किया पूरी शिद्दत से किया. दारा सिंह ने बॉलीवुड में अभिनेता और पंजाबी फिल्म में प्रोड्यूसर के तौर पर भी बहुत ख्याति हासिल की.

✍️पहलवानी की बात करें तो अपने पूरी जीवन में दारा सिंह ने एक भी फाइट नहीं हारी. वहीं एक्टिंग में उन्होंने संगदिल (1952), शेर दिल (1965), तूफान (1969), दुल्हन हम ले जाएंगे (2000), कर्मा (1986) और जब वी मेट (2007) जैसी हिट फिल्मों में काम किया.

✍️पंजाब में अमृतसर में 19 नवंबर 1928 को सूरत सिंह रंधावा और बलवंत कौर के घर पैदा हुए दारा सिंह को शुरू से ही पहलवानी का शौक था और वह आसपास के जिलों में कुश्ती प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे. बाद में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों नामी पहलवानों को अखाड़े में चित्त किया और भारतीय स्टाइल के अलावा ‘फ्री स्टाइल’ कुश्ती में भी दुनिया के दिग्गज पहलवानों को धूल चटायी. विदेशों में पहलवानों को पटखनी देने के बाद 1950 के दशक के बीच में वह भारत लौटे और चैंपियन बने.

उन्होंने राष्ट्रमंडल देशों का भी दौरा किया और वहां के पहलवानों से अखाड़ों में मुकाबला करते हुए विजय हासिल की. उनकी सफलता से जलने वाले कई विदेशी पहलवानों ने उन्हें चुनौती दी लेकिन दारा सिंह ने सभी ऐसे पहलवानों को धूल चटा दी और अंतत: 1968 में विश्व चैंपियन बने.

कहा जाता है कि उनकी लोकप्रियता से कुश्ती को नया जीवन मिला और देश में बड़ी संख्या में युवा इस खेल के प्रति आकषिर्त हुए. उनकी कुश्ती प्रतियोगिताओं को देखने के लिए लोगों में गजब का उत्साह होता था. विश्व चैंपियन बनने के बाद दारा सिंह ने हिंदी फिल्म जगत की राह ली और यहां भी कामयाबी का नया अध्याय लिखा. उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखी थी जो 1989 में प्रकाशित हुयी थी.

✍️किंग कॉन्ग को धूल चटाई
नवंबर 1962 में रांची के अब्दुल बारी पार्क में हुई फाइट को आज तक कोई नहीं भूला पाया. इस फाइट में दारा सिंह ने दुनिया के जाने-माने पहलवान किंग कॉन्ग को हराया था. ऑस्ट्रेलिया के किंग कॉन्ग ने दारा सिंह को कुश्ती लड़ने की चुनौती दी थी.

मुकाबले में 200 केजी के किंग कॉन्ग के सामने दारा सिंह बच्चे लग रहे थे, बावजूद इसके वे किंग कॉन्ग पर भारी पड़े. उन्होंने किंग कॉन्ग को तीन बार पटखनी दी. एक बार तो उन्होंने छह फीट लंबे किंग कॉन्ग को उठाकर ट्विस्ट करते हुए एरिना से नीचे गिरा दिया था. इसके बाद साल 1962 में फिल्म 'किंग कॉन्ग' रिलीज हुई. इस फिल्म में दारा सिंह ने एक्टिंग भी की थी.
वर्ल्ड चैंपियन दारा सिंह

✍️दारा सिंह का रेसलिंग करने के स्टाइल को पहलवानी कहते है. यह तरकीब करीब 1,000 साल पुरानी है. फाइट के कारण दारा सिंह कई एशियाई देश घूमे. 1947 में सिंह सिंगापुर गए. जहां उन्हें चैंपियन ऑफ मलेशिया का खिताब मिला. यहां उन्होंने तरलोक सिंह को हराया था.

✍️✍️1954 सिर्फ 26 साल की उम्र में दारा सिंह नेशनल रेसलिंग चैंपियन बन गए. अपने शानदार रेसलिंग तकनीक के चलते उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में काफी लोकप्रियता हासिल हुई. 29 मई 1968 को दारा सिंह लोउ थेसज को हराकर वर्ल्ड चैंपियन बने थे. दारा सिंह रुस्तम-ए-हिंद और रुस्त-ए-पंजाब जैसे कई अवॉर्ड मिले.

✍️1983 में दिल्ली के टूर्नामेंट में देश के महान रेसलर ने पहलवानी को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. टूर्नामेंट का शुभारंभ राजीव गांधी ने किया था और विजेता का टाइटल तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने दिया था.

✍️दारा सिंह ऐसे पहले स्पोर्ट्सपर्सन थे जो राज्यसभा में पहुंचे. उनका कार्यकाल 2003 से 2009 तक का रहा. इन सभी उपलब्धियों से साबित होता है कि भविष्य दारा सिंह की उपलब्धियों का कर्जदार रहेगा. एक ऐसी शख्सियत जो रील और रीयल लाईफ में हीरो रहे.

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